भूतिया बस की सवारी (Bhutiya Bus Ki Sawaari) Horror Story: आधी रात को माया एक सुनसान बस में चढ़ती है, जहाँ सबकुछ अजीब और डरावना लगता है। जैसे-जैसे बस आगे बढ़ती है, माया को महसूस होता है कि यह सफर सामान्य नहीं है, बल्कि किसी रहस्य और भयानक डर की ओर जा रहा है।
*इस कहानी को पढ़ने की बजाय ऑडियो में सुने।
रात का समय था, जब आखिरी बस स्टॉप पर आकर रुकी। यह बस हर रात ठीक समय पर आती थी, मानो किसी पुरानी घड़ी की तरह। बस धूल से भरी हुई थी, मानो बहुत समय से इसकी सफाई नहीं हुई हो।
ड्राइवर एक बूढ़ा आदमी था, जिसकी आँखें गहरी धँसी हुई थीं। वह बिना कुछ बोले, सीधे आगे देख रहा था। जब दरवाजा खुला, माया ने बस में कदम रखा। उसे अंदर आते ही अजीब सा डर महसूस हुआ, जैसे कुछ सही नहीं था। लेकिन उसके पास और कोई रास्ता नहीं था। उसकी गाड़ी खराब हो गई थी और इस सुनसान इलाके में बस ही उसका आखिरी सहारा था।
माया ने चारों तरफ देखा, बस पूरी तरह खाली थी। उसने राहत की सांस ली, लेकिन ये खालीपन भी कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था। सीटें फटी हुई और पुरानी थीं। बस के अंदर की रोशनी हल्की-हल्की थी और परछाइयाँ दीवारों पर अजीब ढंग से हिल रही थीं।
माया बस की बीच वाली सीट पर बैठ गई। जैसे ही बस चलने लगी, उसकी घबराहट थोड़ी बढ़ने लगी। बस का इंजन ज़ोर से गड़गड़ा रहा था, लेकिन बाहर की कोई आवाज़ सुनाई नहीं दे रही थी।
तभी उसे कुछ अजीब महसूस हुआ। बस के अंदर की हवा अचानक बहुत ठंडी हो गई, इतनी कि उसके शरीर में ठंड घुसने लगी। माया ने खिड़कियों से बाहर देखा, लेकिन कुछ भी नहीं दिख रहा था, न सड़क, न रोशनी, मानो बस किसी अंधेरे शून्य में चल रही हो।
माया ने पीछे की सीटों की तरफ देखा। वहाँ कुछ लोग बैठे थे—या शायद वे लोग नहीं थे। जब माया ने बस में चढ़ते समय देखा था, तो कोई नहीं था। अब वहाँ पाँच छायादार आकृतियाँ बैठी थीं। वे बिना हिले-डुले बैठे थे। माया को डर लगा और उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।
तभी बस झटके से उछली, और उसे एक हल्की सी फुसफुसाहट सुनाई दी। माया ने ध्यान से देखा और उसकी साँसें थम गईं।
उन सभी यात्रियों के चेहरे नहीं थे।
जहाँ चेहरे होने चाहिए थे, वहाँ सिर्फ सपाट त्वचा थी। उनकी आँखें, नाक और मुँह सब गायब थे। वे सब बिना चेहरों के उसकी तरफ देख रहे थे। माया का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने जल्दी से अपनी नज़रें फेर लीं और डरते हुए अपने आप को समझाने लगी, “ये बस एक सपना है।”
लेकिन जब उसने फिर से देखा, तो बस रुक चुकी थी।
अंदर सन्नाटा था। बस के इंजन की आवाज बंद हो गई थी, और खिड़कियों के बाहर सिर्फ़ अंधेरा था। कोई सड़क या रोशनी नहीं दिख रही थी। माया डरते हुए बस के आगे की तरफ दौड़ी और ड्राइवर से पूछा, “ये बस क्यों रुकी है?”
ड्राइवर की आँखें खुली थीं, लेकिन वह पलकें भी नहीं झपका रहा था। जब माया करीब गई, तो उसने देखा कि ड्राइवर का चेहरा भी बिल्कुल सपाट था, बिना आँख, बिना मुँह का।
माया का दिल जोर से धड़कने लगा। उसे समझ नहीं आया कि वह क्या करे। उसने बस के दरवाजे खोलने की कोशिश की, लेकिन दरवाजा बंद था। खिड़कियाँ भी नहीं खुल रही थीं। अब वह फँस चुकी थी।
अचानक, बस के नीचे से एक अजीब सी आवाज़ आने लगी, मानो बस ज़िंदा हो गई हो। बस में बैठे सभी यात्री धीरे-धीरे खड़े हो गए। उनके बिना चेहरों वाले सिर उसकी ओर मुड़ गए थे। माया डर के मारे काँपने लगी। उसने चिल्लाते हुए कहा, “तुम लोग क्या चाहते हो?”
कोई जवाब नहीं आया। बस के यात्री बिना हिले-डुले खड़े रहे। तभी बस फिर से चल पड़ी और सभी यात्री अपनी जगह पर बैठ गए, जैसे कुछ हुआ ही न हो।
माया ने खिड़की से बाहर देखा। लेकिन अब वह दुनिया बदल चुकी थी। बस अब किसी अजीब सी काली जगह में चल रही थी, जहाँ जमीन भी अजीब से अंधेरे में डूबी थी। दूर-दूर तक अजीब लंबी आकृतियाँ दिखाई दे रही थीं, जो धीरे-धीरे इधर-उधर घूम रही थीं।
तभी बस फिर से रुकी। सामने एक और बिना चेहरा वाला यात्री खड़ा था, हाथ हिला रहा था। दरवाजा खुला और वह यात्री बस में चढ़कर माया के बगल में आकर बैठ गया।
बस फिर से चल पड़ी, लेकिन माया को पता था कि अब वह घर नहीं पहुँचेगी।
जैसे-जैसे बस अंधेरे में आगे बढ़ रही थी, माया ने खिड़की में अपनी परछाई देखी। उसका चेहरा धीरे-धीरे गायब हो रहा था। उसकी आँखें, नाक, मुँह सब मिटते जा रहे थे।
वह भी अब बाकी यात्रियों की तरह हो रही थी।
So I hope Guys आपको यह Horror Story अच्छी लगी होगी।
पढ़ने के लिए धन्यवाद।
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