4 Short Horror Stories In Hindi: 4 छोटी डरावनी कहानियाँ हिंदी में

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4 Short Horror Stories In Hindi: इस लेख में आपको भारत से लेकर पूरे विश्व की 4 छोटी और सबसे डरावनी कहानियाँ हिंदी में पढ़ने को मिलेंगी। यह कहानियाँ भारत और विश्व की गाँवो, जंगलों और शहरों की है।

पुरानी हवेली का खूँखार प्रेत

मैंने हमेशा सुना था कि हमारे गाँव के बाहर खड़ी पुरानी हवेली में कुछ गड़बड़ है। गाँव वालों का कहना था कि हर अमावस की रात वहाँ अजीब घटनाएँ होती हैं। हवेली का नाम सुनते ही लोगों के चेहरे सफेद पड़ जाते थे। मैं हमेशा इसे सिर्फ एक पुरानी कहानी मानता था।

लेकिन उस रात कुछ अलग था। अमावस थी। गाँव अंधेरे में डूबा हुआ था। ठंडी हवा चल रही थी। उस रात गाँव के एक शराबी, जिसका नाम रमेश था, ने कहा कि वह हवेली के अंदर जाकर डर को झूठा साबित करेगा। रमेश को लोग हल्के में लेते थे। वह हमेशा शराब के नशे में रहता था और अपनी बड़ी-बड़ी बातें करता था।

रमेश ने अपनी बोतल उठाई और लड़खड़ाते कदमों से हवेली की तरफ बढ़ने लगा। गाँव के कुछ लोग उसे रोकने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उसने सबको झिड़क दिया। “तुम सब डरे हुए हो, लेकिन मैं नहीं! आज मैं उस हवेली के अंदर जाऊँगा और वापस आकर तुम्हें बताऊँगा कि वहाँ कुछ भी नहीं है!” वह हँसते हुए चिल्लाया।

मैं और बाकी गाँव वाले दूर से देखते रहे। रमेश ने हवेली का गेट खोला। जंग लगे दरवाजे से एक भयानक चीख जैसी आवाज निकली। ऐसा लगा जैसे खुद हवेली ने उसे अंदर बुलाया हो।

वह अंदर चला गया। हवेली के अंदर अंधेरा था। काँच की टूटी खिड़कियाँ हवा में बज रहीं थीं। हर कोना सन्नाटे और अजीब सी ठंड से भरा हुआ था। रमेश ने अपनी बोतल से एक बड़ा घूँट लिया और ज़ोर से हँसने लगा। “ये है तुम्हारी भूतिया हवेली? मुझे तो यहाँ कुछ नहीं दिख रहा!”

तभी अचानक एक भारी सी आवाज गूँजी। “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहाँ आने की?” रमेश हड़बड़ा गया। उसकी आँखें चारों तरफ घू्मने लगीं। तभी कोने से एक साया निकला। वह लंबा, काला और डरावना था। उसकी आँखें जलती हुई आग की तरह थीं। उसकी आवाज गूँज रही थी। “मैं इस हवेली का मालिक हूँ। मैंने यहाँ आने वालों को कभी ज़िंदा नहीं छोड़ा।”

रमेश, शराब के नशे में, डरने के बजाय और बहकने लगा। उसने उस प्रेत की तरफ बोतल उठाई और हँसते हुए कहा, “तू मुझे खाएगा? आ, देखता हूँ तेरा जोर!”

प्रेत भड़क गया। हवेली की दीवारें हिलने लगीं। रमेश चिल्लाया, लेकिन उसकी आवाज हवेली के सन्नाटे में गुम हो गई। उस रात, किसी ने रमेश को बाहर आते नहीं देखा।

अगले दिन गाँव वाले रमेश को ढूँढने हवेली के पास पहुँचे। दरवाजा खुला था। सब डरे हुए थे। कोई अंदर जाने की हिम्मत नहीं कर रहा था। गेट के पास रमेश की टूटी हुई शराब की बोतल पड़ी थी। लेकिन रमेश का कहीं कोई नामोनिशान नहीं था।

कुछ गाँव वालों ने कहा कि प्रेत की यह हवेली एक पुरानी त्रासदी की गवाह है। हवेली का मालिक एक पश्चिमी व्यापारी था, जिसने लालच और धोखे से गाँव वालों की जमीनें छीन ली थीं। लेकिन एक दिन गाँव वालों ने उसकी हवेली पर हमला कर दिया। उसे और उसके परिवार को जला दिया गया। कहते हैं, मरते समय उसने कसम खाई थी कि वह अपनी हवेली में लौटेगा और हर घुसपैठिए को सज़ा देगा।

रमेश का क्या हुआ, यह कोई नहीं जानता। लेकिन उस दिन के बाद गाँव के लोग हवेली के और करीब जाने से भी डरते हैं। मैं बस इतना जानता हूँ कि रमेश ने उस रात कुछ ऐसा किया, जो उसे नहीं करना चाहिए था। और अब वह हवेली की काली छाया बन गया है।

हाईवे की चुड़ैल का खौफ

यह एक ऐसी चुड़ैल की कहानी है जो सुनसान हाईवे पर चलती हुई गाड़ियों से लिफ्ट मांगती है जो उसे लिफ्ट दे देता है उसकी मौत पक्की।

मैं और मेरा परिवार एक लम्बी यात्रा पर जा रहे थे। यह रात का वक्त था, और हम एक सुनसान हाईवे पर गाड़ी चला रहे थे। आस-पास कोई भी गाड़ी नजर नहीं आ रही थी। सिर्फ हमारी गाड़ी और घना अंधेरा था। सड़क के दोनों तरफ घने पेड़ और झाड़ियाँ थीं। हमें डर तो नहीं लग रहा था, पर माहौल कुछ अजीब सा था। गाड़ी के अंदर हम सब चुप थे, बस गाड़ी के इंजन की आवाज और बाहर की खामोशी सुनाई दे रही थी।

तभी हमें सड़क के किनारे एक महिला खड़ी नजर आई। वह हमें देखकर हाथ उठाकर रुकने का इशारा करने लगी। उसकी सूरत कुछ अजीब थी। मैं समझ नहीं पा रहा था कि उसे कैसे नजरअंदाज करूं। मैंने गाड़ी रोकी और वह महिला हमारी तरफ बढ़ने लगी। उसकी चाल में कोई बात थी, जैसे वह किसी और दुनिया से हो। उसकी आँखों में अजीब सी चमक थी, और उसके चेहरे पर कुछ गहरे काले धब्बे जैसे दिख रहे थे।

“क्या आप मुझे लिफ्ट दे सकते हैं?” उसने खौफनाक आवाज में पूछा।

माँ और पापा चुप थे, शायद वह भी समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें। दादी माँ जो हमेशा घर में चुपचाप बैठती थीं, वह चुपचाप गाड़ी में बैठी थीं। उन्हे अचानक कुछ खटका। दादी माँ की नजरें उस महिला के पैरों पर जा लगीं। और अचानक उनकी आँखें फटी की फटी रह गईं।

“वो… उसके पैर उलटे हैं!” दादी माँ की आवाज़ कांप रही थी।

मैंने जल्दी से दादी माँ की ओर देखा। सच में, उस महिला के पैर उलटे थे, जैसे किसी जानवर के। मुझे अचानक एक खौफ सा महसूस हुआ। मैंने गाड़ी स्टार्ट की और हम तेजी से चलने लगे। लेकिन वह महिला बिना किसी आवाज के, जैसे हवा में उड़ती हुई, हमारी गाड़ी के पीछे दौड़ने लगी। हम डर के मारे कांप रहे थे, पर गाड़ी की स्पीड बढ़ाने के बावजूद वह महिला हमारी गाड़ी के पास आ गई थी।

फिर, हम सबने महसूस किया कि वह महिला अब हमारे ऊपर कूद रही थी। उसकी शक्ल अब पूरी तरह से बदल चुकी थी। उसका चेहरा भयंकर और डरावना हो गया था। उसके हाथों में नुकीले नाखून थे, और उसकी आँखों में खून दिखाई दे रहा था। गाड़ी की छत पर वह जोर-जोर से खटखटा रही थी, जैसे वह किसी शिकार को अपनी चपेट में लेने का इंतजार कर रही हो।

मैं डर के मारे गाड़ी को और तेज चला रहा था, लेकिन वह महिला हमारे पीछे पड़ी हुई थी, और किसी भी हाल में वह पीछा छोड़ने वाली नहीं थी। मैं घबराया हुआ था, दादी माँ की वह बात बार-बार मेरे दिमाग में घूम रही थी, “उसके पैर उलटे हैं!” यही बात मेरी जान बचाने वाली थी।

हमारे रास्ते में एक मोड़ आया और जैसे ही हम उस मोड़ से मुड़े, हम सब को लगा कि वह महिला अब हमसे दूर जा चुकी थी। लेकिन जैसे ही गाड़ी उस मोड़ से निकली, हमारी आँखों के सामने वह महिला फिर से खड़ी थी। अब वह पूरी तरह से हमारे सामने थी। हम डर से कांप रहे थे, लेकिन तभी अचानक सड़क के अंत में एक लाइट दिखी। हम वह रास्ता पकड़ते हुए तेजी से वहाँ पहुंचे, और जैसे ही हाईवे खत्म हुआ, वह महिला या चुड़ैल गायब हो गई। हम सब का दिल अब भी धड़क रहा था, लेकिन हम सब बच गए थे।

वो रात हम कभी नहीं भूल सकते। हम समझ गए थे कि उस सुनसान हाईवे की चुड़ैल से टकराना कितना खतरनाक हो सकता है। अब से हम रात में सफर करने से हमेशा बचने की कोशिश करेंगे।

डायन का जंगल

मैं अपने मामा के गांव में छुट्टियाँ बिताने गया था, जो राजस्थान के रेगिस्तान में बसा हुआ था। गांव बहुत शांत था, और आसपास का माहौल बेहद सरल-सादा था। कुछ दिन बिताने के बाद, मैं और मेरे दोस्त गांव के बुजुर्गों से कुछ अजीब बातें सुनने लगे। वे हमें डराते हुए बताते थे कि पास के जंगल में एक डायन रहती है, जो रात के समय बच्चों को पकड़ कर ले जाती है और फिर उन्हें खा जाती है। गांव वालों ने हमें बार-बार चेतावनी दी कि उस जंगल में कभी मत जाना।

लेकिन हमें उस समय ये सब मजाक जैसा लगता था। हम सब बच्चे थे। हम डर और उनकी चेतावनी को नजरअंदाज करके यह तय कर चुके थे कि हम उस जंगल में जरूर जाएंगे। हमारे अंदर एक अजीब सी बहादुरी वाली भावना थी और डर को हम अपने दिल से बिलकुल निकाल चुके थे। तो एक दिन, हम सब सुबह-सुबह तैयार होकर गाँव वालों से बचते हुवे उस जंगल की ओर चल पड़े। गांव के बाहर, उस जंगल में पेड़ों की छांव में अजीब सी खामोशी थी, जैसे वहां कोई नहीं है। पेड़ और झाड़ियाँ बहुत घनी थीं, और हवा में कुछ हलकी सी ठंडक थी।

जंगल में कदम रखते ही हमें थोड़ा अजीब सा महसूस हुआ, लेकिन हम फिर भी आगे बढ़ते गए। जंगल में कहीं दूर से एक हल्की सी आवाज सुनाई दी, लेकिन हमने उसे अनसुना कर दिया।

जैसे-जैसे हम अंदर जाते गए, वो आवाज बढ़ने लगी, और फिर हम अचानक रुक गए। किसी ने कहा कि एक धुंआ सा दिखाई दिया। हम सभी एक जगह खड़े हो गए, लेकिन हमारी जिज्ञासा ने हमें फिर से आगे बढ़ने पर मजबूर किया।

हमने जंगल में कुछ घंटों तक घूमने के बाद महसूस किया कि हम रास्ता भटक गए है। जंगल इतना घना था कि हमें चारों तरफ अंधेरा सा लगने लगा। तभी, अचानक हमें एक खौ़फनाक सी आवाज सुनाई दी। उस आवाज को सुनकर हमारी रुह कांप गई। यह आवाज किसी इंसान की नहीं, बल्कि किसी खौफनाक प्राणी की थी। हम वही चुपचाप खड़े हो गए, लेकिन आवाज और पास आती गई। फिर हमने एक काले कपड़े में एक औरत को देखा, जिसके चेहरे पर एक खौ़फनाक मुस्कान थी।

हम डर के मारे कुछ कह नहीं पाए, बस भागने लगे। जंगल में हर तरफ अंधेरा था, और हमारे पैरों तले जमीन जैसे खिसक रही थी। हमारी सांसें तेज हो गईं, और हम जल्दी-जल्दी जंगल से बाहर निकलने की कोशिश करने लगे। हमारी आँखों के सामने वो कटी-फटी छाया दिखाई देती रही, जैसे हमें पकड़ने के लिए वह हमारे पीछे आ रही हो।

हम डर से बेहोश हो रहे थे कि तभी, अचानक गांव वाले हमारी तलाश करते हुए उस जंगल में पहुंचे। उन्होंने हमें आवाज दी और हम उनके पास दौड़ते हुए चले गए। वो हमें लेकर वापस गांव आए और फिर हमें बताया कि वो डायन सच में उस जंगल में रहती है। गांव वालों ने बताया कि कई सालों पहले एक बच्चा उस जंगल में गया था और फिर कभी वापस नहीं लौटा। हमें उस दिन समझ में आ गया था कि गांव वाले जो कहते थे, वो बिल्कुल सही था।

हमने तय किया कि अब हम कभी भी उस जंगल में कदम नहीं रखेंगे और जब तक हम जिंदा है तब तक हम उस डायन के जंगल से दूर रहेंगे।

रेलवे स्टेशन का भूत

रात के करीब तीन बजे थे। मैं एक छोटे से शहर के सुनसान रेलवे स्टेशन पर अकेला खड़ा था। ठंडी हवा चल रही थी, और दूर कहीं उल्लू की आवाज़ सुनाई दे रही थी। प्लेटफॉर्म पर कोई नहीं था, बस एक पुराना बल्ब धीमी रोशनी में टिमटिमा रहा था। मेरी ट्रेन आने में अभी भी आधा घंटा बाकी था।

मैंने अपनी घड़ी देखी और पास की बेंच पर बैठ गया। स्टेशन की दीवारों पर पुरानी, फटी हुवे पोस्टर लगे थे, और हर तरफ सन्नाटा पसरा था। तभी मेरी नज़र प्लेटफॉर्म के आखिरी छोर पर गई। वहाँ एक आदमी खड़ा था, सफेद कपड़े पहने, एकदम शांत।

पहले तो मैंने सोचा कि कोई यात्री होगा, लेकिन फिर ध्यान दिया कि वह अजीब तरह से खड़ा था, बिल्कुल सीधा, बिना हिले-डुले। उसकी आँखें नहीं दिख रही थीं, सिर्फ सफेद कपड़े और एक हल्की सी परछाईं। ठंड की लहर मेरे शरीर में दौड़ गई।

मैंने इधर-उधर देखा, शायद कोई और भी वहाँ हो, लेकिन पूरी जगह वीरान थी। अब मेरी नजरें उसी आदमी पर थीं। वह धीरे-धीरे चलने लगा। उसके कदमों की कोई आवाज़ नहीं आ रही थी। मेरी धड़कन तेज हो गई। मैंने अपने हाथों को मसला, शायद यह सब मेरा भ्रम हो।

वह आदमी प्लेटफॉर्म पर घूम रहा था, लेकिन उसकी चाल अजीब थी—जैसे वह ज़मीन पर नहीं, हवा में उड़ रहा हो। मैं डर के मारे उठ खड़ा हुआ। तभी प्लेटफॉर्म के पास लगे एक खंभे से एक बूढ़े चौकीदार ने मुझे देखा। वह धीरे-धीरे मेरी तरफ आया और फुसफुसाते हुए बोला, “उसे मत देखो।”

मैं सन्न रह गया। “क..कौन?” मैंने हकलाते हुए पूछा।

“वही… सफेद कपड़ों वाला…” बूढ़े ने कहा। उसका चेहरा डर से सूख चुका था।

मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मैंने फिर से उस आदमी की तरफ देखा—अब वह प्लेटफॉर्म के बिल्कुल किनारे पर खड़ा था। ट्रेन आने वाली थी। रेल की पटरियों से हल्की आवाज़ आने लगी थी।

मैंने चौकीदार से पूछा, “ये कौन है?”

वह कांपते हुए बोला, “यह हर रात तीन बजे यहाँ आता है। पर जब ट्रेन आती है, तो गायब हो जाता है। कोई नहीं जानता कि यह कौन है, लेकिन कई साल पहले यहाँ एक आदमी ट्रेन के नीचे आकर मर गया था… ठीक इस वक्त, तीन बजे।”

मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गई। मेरी ट्रेन के आने की अनाउंसमेंट होने लगी थी। मैं चाहकर भी हिल नहीं पा रहा था। मेरी नज़रें अब भी उस आदमी पर थीं। ट्रेन की रोशनी प्लेटफॉर्म पर पड़ने लगी थी। और तभी…

वह आदमी धीरे-धीरे हवा में गायब होने लगा। जैसे धुंआ उड़ रहा हो। कुछ ही सेकंड में वह गायब हो गया।

मैंने जल्दी से अपना बैग उठाया और ट्रेन में चढ़ गया। मेरी सांसें तेज थीं, हाथ काँप रहे थे। चौकीदार प्लेटफॉर्म पर खड़ा मुझे देख रहा था। ट्रेन चल पड़ी, लेकिन मेरा दिमाग अब भी उसी सफेद कपड़ों वाले आदमी के बारे में सोच रहा था।

क्या मैंने सच में भूत देखा था? या यह सिर्फ मेरी आँखों का धोखा था? लेकिन चौकीदार की बातों और उस आदमी के गायब होने ने से यह साफ़ हो गया था कि यह मेरी आँखों का धोखा नहीं था।

उस रात के बाद मैंने कसम खाई कि कभी किसी सुनसान रेलवे स्टेशन पर अकेले नहीं रुकूँगा।

So I hope Guys आपको यह Horror Stories अच्छी लगी होगी।

पढ़ने के लिए धन्यवाद।


दोस्तों, मैं आशा करता हूँ कि आपको “4 Short Horror Stories In Hindi (4 छोटी डरावनी कहानियाँ हिंदी में)” शीर्षक वाली यह Real Horror Stories पसंद आई होगी। ऐसी और भी Real Ghost Stories In Hindi में पढ़ने के लिये, हमारे ब्लॉग www.HorrorStoryHindi.com पर बने रहे। यदि आप YouTube पर Ghost Stories सुनना पसंद करते है तो मेरे YouTube ChannelCreepy Content” को सब्सक्राइब कर ले।

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