एक मजाकिया दैत्य Ek Majakiya Detya- Horror Story Hindi

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एक मजाकिया दैत्य Ek Majakiya Detya- Horror Story Hindi

रात का अँधेरा ऊपर से देर रात को जॉब से लौटकर आना बड़ा ही डरावना अहसास होता है.
मेरा नाम विशाल है और मैं एक शॉपिंग मॉल में काम करता हूँ. मुझे काम से रात के 11 बजे छुट्टी मिलती है.
अभी मुझे उस जगह काम किये कुछ 2 ही हफ़्ते हुए है..
हुआ कुछ यूँ कि एक दिन में जब अपने काम से लौटकर आ रहा था, तब  मेरे साथ एक ऐसा  मंजर पेश हुआ जिसे मैं आप लोगो को बताना चाहता हूँ..

मैं कोटा शहर के एक इलाके अनंतपुरा में रहता हूँ, मैं वहाँ एक किराये के मकान में रह रहा था.

मेरा मकान रोड किनारे से कुछ 5 मिनट अंदर जाने पर आता था..

जब मैं अपने घर की और आ रहा था तो मैंने सुना की कुछ दुरी पर चार पांच कुत्ते जोरों से भौंक रहे है..

कुत्तों का इतनी ज़ोर से रोना भोंकना कोई आम बात नहीं होती है…
अक्सर कुत्ते भूखे होते है तो वे एक अलग प्रकार से भोंकते है, पर उस दिन कुत्ते किसी चीज़ से बहुत ज्यादा डरे हुये थे…


सभी कुत्तों ने मेरी आहट पाकर मेरी ओर देखा और मुझे देखकर वे तेज़ी से भाग गये, जैसे कि उनके भागने में भी एक इशारा था कि तू भी भाग जा हमारे साथ, वरना…


बड़े ही बेवकूफ कुत्ते है…. हाहा हाहाहाहा…. मैंने मन में कहा… पता नहीं किस चीज़ से डर गये….


सब कुत्ते भाग गये और चारों तरफ अब सन्नाटा पसर गया था..

मैं थोड़ा आगे बढ़ा तो मैंने देखा कि एक पेड़ बड़ी ही तेज़ी से हिल रहा था..
ताज्जुब की बात यह थी कि उसके अलावा सभी पेड़ बिलकुल शान्त खड़े थे, सिवाय उस पेड़ के.
उस समय हवा भी नहीं चल रही थी..

उस समय मेरी हालत बुरी हो रही थी…

Ek Majakiya Detya Horror Story In Hindi
Ek Majakiya Detya Horror Story

यह सब बकवास है, जरूर इस पेड़ पर कोई बन्दर होगा जिसके कारण से यह पेड़ हिल रहा है..
मैं ऐसा मन में सोचने लगा.. और अपने कदम तेज़ी से आगे बढ़ाने लगा.

डर तो मुझे सच में ही लग रहा था..

आज ना जाने क्यूँ यह रास्ता इतना लम्बा हो गया है बाकि के दिन तो बड़ी ही जल्दी में अपने कमरे तक पहुँच जाता हूँ..


पर जब डर लग रहा हो और साथ में ऐसी परिस्थिति हो तो आदमी के कदम खुद-ब-खुद धीरे चलने लगते है..


पुरे रोड पर सन्नाटा था और रोड मुझे किसी भूतिया फ़िल्म के जैसा लग रहा था जिन फ़िल्में में आपको ऐसे रोड या तो किसी भूतिया हवेली की ओर ले जाते है या किसी सुनसान कब्रिस्तान या शमशान की ओर..


जिस रास्ते से में जाता था वो अंधकार भरा था.

वहाँ कोई स्ट्रीट लाइट्स भी नहीं थी..
आज बड़ा गुस्सा आ रहा था सरकार पर की अगर
ये इस सुनसान डरावने रास्ते पर लाइट्स लगवा देती तो इनका क्या चला जाता..

खैर है तो यह सरकार ही…… छोड़ो..कहानी में आगे बढ़ते है..


हा तो चलते चलते में उस पेड़ तक आ गया जो बड़ी ही तेज़ी से हिल रहा था..

वो पेड़ अभी भी हिल ही रहा था..

मैं उस पेड़ के पास से जल्द से जल्द निकलना चाहता था..

पर उस पेड़ के पास जैसे ही मैं पहुँचा वह पेड़ एकदम से शान्त हो गया..

यह थोड़ा अजीब था क्योंकि जो पेड़ अभी तक इतनी तेज़ी से हिल रहा था वो अब शान्त हो गया…. काफ़ी अजीब है….मैंने सोचा..


पर मुझे पता नहीं क्यों डर लगना बंद हो गया था..और मैं चुपचाप उस जगह खड़ा होकर आसपास देखने लगा कि क्या चल रहा है?… आखिर माजरा क्या है?….


मैंने अपने जेब से एक सिगरेट निकाली और उसे माचिस से जला कर उसका कश लेने लगा.. मुझे सिगरेट पीने की एक बुरी आदत थी….


मुझे पता नहीं क्या हो गया जो मैं उस पेड़ के आसपास ही चक्कर काटने लगा….

मेरी वो सिगरेट ख़त्म हो गयी.

मैंने जेब में हाथ डाला और दूसरी सिगरेट जलाई..अब  मेरे पास  केवल एक आखिरी ही सिगरेट थी जो बची थी..


अब में सिगरेट का कश लेते हुये उस पेड़ के ऊपर देखने लगा कि कौन है यह..जो रात में इतना शोर मचा रहा था..


मैं पता नहीं क्यूँ उस जगह पर रुक गया था.. मुझे तो अपने घर की और भाग जाना चाहिए था…


मैं सिगरेट पीते हुये उस पेड़ के सामने.. एक लोगों के बैठने के लिए चबूतरा था जिस पर जाकर  मैं बैठ गया..



मैंने देखा कि उस पेड़ पर से एक आदमी उतर कर नीचे आया और ठीक मेरे पास में आकर उस चबूतरे पर बैठ गया..


वो मेरी ओर ही देख रहा था…


उसने मुझसे कहा… ऐ नशेड़ी मुझे भी सिगरेट पीनी है.. मुझे सिगरेट दे…


क्या कहा बे तूने नशेड़ी… साले अब तो मैं तुझे सिगरेट बिलकुल भी नहीं देने वाला.. मैंने उससे कहा…


वो मुझसे बोला कि तू कितना बड़ा नशेड़ी है जो इतनी रात को भी नशा कर रहा है जब कि लोगों के इतनी रात में पसीने छूट जाते है…


अगर तूने मुझे यह सिगरेट नहीं दी तो तुझे मैं सिगरेट पीने लायक नहीं छोड़ूँगा.. उस आदमी ने कहा….

और उसने मेरे हाथ से वो सिगरेट छीन ली… और साले ने एक ही कश में पूरी की पूरी सिगरेट पिली..
..और सारा का सारा धुआँ मेरे मुँह पर फूँक दिया…

पता नहीं क्यूँ मैं उससे बहस करने लगा.. लगता है जैसे मुझे वो सिगरेट चढ़ गयी थी… 

साले तूने मेरी सिगरेट पी ना अब तो तू गया और मैंने उसकी कोलर पकड़ी और उसे ऊपर उठाने की कोशिश की पर वो आदमी तो जैसे कोई पहाड़ हो, वह बिलकुल भी हिल ही नहीं रहा था..

उसने एक झटके में मुझे दूर धक्का देकर फेंख दिया..

हाय राम ! मेरी तो कमर टूट गयी लगता है..

साले अब तो तू नहीं बचेगा… और मैं उठा और उससे कुश्ती करने लगा….पर जब भी मैं उसके पास जाता वो मुझे फ़िर से उठाके दूर फेंक देता..ऐसा कुछ पाँच मिनट तक चला और वो बोला मुर्ख भाग जा यहाँ से वरना मारा जायेगा…


मैंने कहा आज तो तुझे सबक सीखा के ही जाऊँगा…

मेरी बेज़्ज़ती का बदला लूँगा…

उसने कहा.. लगता है तू ऐसे नहीं मानेगा तुझे तो मैं अभी बताता हूँ… और वो धीरे धीरे बड़ा होने लगा और बढ़ते बढ़ते वो उस पेड़ जितना बड़ा हो गया…

अब मेरा नशा उतरा, जिससे में अबतक लड़ रहा था वो तो कोई दैत्य है….

भागो यहाँ से… मैंने मन में कहा….. और मैं वहाँ से भागने लगा….Ek Majakiya Detya Horror Story


भागता कहा है डरपोक…. आज तुझे सबक सीखना पड़ेगा और वो दैत्य मेरे पीछे पीछे आने लगा…और थोड़ी देर बाद उसने मुझे पकड़ लिया और उसने कहा… हाहाहाहा…. अब मैं तुझे खाऊँगा… बहुत चर्बी चढ़ी है ना तुझे….. अब तेरी अक्ल ठिकाने लाता हूँ ..


उस समय तक मेरा सारा नशा उतर चूका था….

अब मैं बस उसके मुँह का निवाला ही बनने वाला था कि तभी मैंने उससे कहा कि मुझे माफ़ कर दो….मैं तुम्हें नहीं पहचाना….. उसने कहा इसके लिए अब बहुत देर हो गयी है… अब तो तुझे मरना ही होगा… हाहाहा…..

मैंने कहा उससे कहा कि अगर तुम मुझे छोड़ दोगे तो मैं तुम्हें एक सिगरेट दूँगा….

उसने सिगरेट का नाम सुनते ही मुझे नीचे उतार दिया और वो भी अब लगभग मेरे ही जितना हो चूका था… मेरा मतलब कि मेरे जितना बड़ा….

उसने कहा सिगरेट दे…. मैंने उस सिगरेट को उसको दिया और उसने कहा इसे जला… मैंने ठीक वैसा ही किया जैसा उसने कहा…


वो अब आराम से सिगरेट पी रहा था….


(मैंने मन में सोचा कि कितना बड़ा चूतिया है.. केवल एक सिगरेट में ही मान गया… )


मैंने उससे कहा कि तुम कैसे दैत्य हो जो केवल एक सिगरेट में ही मान गये…

असली नशेड़ी तो तुम हो…

उसने कहा कि मैं तुम्हें इस सिगरेट के बदले में उपहार स्वरुप सोने से भरा एक मटका दूँगा…

चलो मेरे साथ और वो मुझे एक गड्ढे के पास ले गया..
उसने कहा वो रहा सोने से भरा मटका वो देख और जैसे ही में उसे देखने के लिए झुका.. उसने ज़ोर से लात मार कर मुझे उस गड्डे में फेंक दिया…

मैं उस गड्ढे में गिर गया और मैंने उस दैत्य को हस्ते हुये सुना कि कैसा मुर्ख इंसान है जो मेरी बातों में आ गया… हाहाहाहा अब पड़ा रह इस गड्ढे में….

अगर आज तूने मुझे सिगरेट ना पिलाई होती तो तुझे मैं खा जाता…. हाहाहाहा…..और ऐसा कहकर वो गायब हो गया…..

सुबह जब मुझे होश आया तो मैं उस गड्ढे में पड़ा हुआ था…


दोस्तों पहली बार मैंने हास्य कहानी लिखने की कोशिश की है अगर आपको यह कहानी पसंद आये तो समीक्षा करें….नहीं आये तो समीक्षा कर बताये की मैंने कहा गलती की है….

दोस्तों, मैं आशा करता हूँ कि आपको एक मजाकिया दैत्य Ek Majakiya Detya शीर्षक वाली यह Real Horror Story पसंद आई होगी। ऐसी और भी Real Ghost Stories In Hindi में सुनने के लिये, हमारे ब्लॉग Horrorstoryhindi.com पर बने रहे। यदि आप YouTube पर Ghost Stories सुनना पसंद करते है तो मेरे YouTube ChannelCreepy Content” को सब्सक्राइब कर ले।

धन्यवाद!

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