कुंदनबाग का भूतिया घर (Kundanbagh ka Bhutiya Ghar) Horror Story: यह कहानी एक खौ़फनाक घर की है, जहां अजीब-अजीब घटनाएँ घटने लगती हैं। निलेश, जो बेंगलुरु में नए शहर में आया है, धीरे-धीरे उस घर के रहस्यों का सामना करता है। रातों में सुनाई देती हंसी, मोमबत्तियों की अजीब चमक, और अदृश्य ताकतों का सामना करते हुए निलेश का दिल दहल जाता है।
जब हम किसी नए शहर में जाते हैं, तो उस जगह को लेकर हमारे दिल में कई बातें चलती हैं। कुछ उत्साह, कुछ डर, और कुछ सवाल। निलेश के साथ भी यही हुआ जब वह पहली बार बेंगलुरु में नौकरी करने के लिए घर से दूर आया। एक दोस्त की मदद से उसे ऑफिस के पास एक छोटा, शांत सा कमरा मिल गया। पहले कुछ दिन वह काम में इतना व्यस्त रहा कि थकान के चलते रात में उसे गहरी नींद आती। लेकिन तीसरी रात से ही कुछ अजीब घटने लगा। कमरे में अंधेरा था, केवल चांदनी हल्की सी रोशनी दे रही थी। निलेश अचानक नींद से जागता है और उसे खिड़की से आती आवाज़ जगा देती है।
“यह आवाज़… कहां से आ रही है?” वह उठकर खिड़की के पास आता है। खिड़की से बाहर की ओर देखता है, और उसके सामने वाले खाली घर से धीमी हंसी की आवाज़ें आ रही थीं।
“इतनी रात को… हंसी की आवाज़?” वह डर के बावजूद आवाज़ का पीछा करता है, लेकिन कुछ दिखाई नहीं देता। तभी वहाँ एक कमरे की लाइट जलती दिखती है और वह आश्चर्य से देखता है कि वह लाइट बार-बार बंद और चालू हो रही थी। उसने इन सब बातों को नज़रअंदाज़ किया और वक्त देख कर वापस सोने चला गया। वह आवाज़ कब सुनाई देना बंद हो गई, उसे सुबह तक याद भी नहीं था।
कुछ दिनों तक निलेश ने इन आवाज़ों को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश की, लेकिन धीरे-धीरे ये आवाज़ें उसकी रातों की नींद छीनने लगीं। एक रात, उसने हिम्मत करके खिड़की से उस खौफनाक घर को देखने की कोशिश की, लेकिन अंधेरे में उसे कुछ नज़र नहीं आया। हालांकि, आवाज़ें लगातार गूंज रही थीं। रात के ठीक 2 बजे, जब वह खिड़की के पास गया, तो उसने उस घर के दरवाजे पर हल्की सी रोशनी देखी। आज वह इस रहस्य को और झेल नहीं पाया। गुस्से में अपने कमरे से बाहर निकला और सीधे उस भूतिया घर के दरवाजे पर पहुंचकर जोर-जोर से दरवाजा पीटने लगा।
वह देर तक दरवाजा खटखटाता रहा, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं आया। हारकर वह खिड़की के पास गया और जब उसने भीतर झांका, तो जो उसने देखा, उससे उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं। कमरे के बीचों-बीच दो लड़कियाँ हाथों में मोमबत्तियाँ लिए खड़ी थीं। उनकी शक्लें अजीब और भयानक थीं। उनकी आँखों में किसी भी तरह का कोई भाव नहीं था, बस एक खालीपन था जो निलेश की रूह को हिला देने के लिए काफी था।
मोमबत्तियों की लौ हवा में अजीब तरीके से लहरा रही थी, मानो किसी अनदेखी शक्ति के नियंत्रण में हो। निलेश यह नजारा देखते ही उल्टे पांव वहां से भागने लगा। उसे ऐसा महसूस होने लगा कि कोई अदृश्य शक्ति उसका पीछा कर रही है। घबराकर वह अपने कमरे में जाकर बिस्तर में दुबक गया। तभी अचानक उसका पंखा अपने आप चालू हो गया, और निलेश का डर चरम पर पहुंच गया। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और कांपते हुए सोने की कोशिश करने लगा।
अगले दिन निलेश के सब्र का बांध टूट गया। उसने अपनी नौकरी से छुट्टी ली और सीधे मकान मालिक के पास पहुंच गया। उसकी आवाज़ में घबराहट थी, और आँखों में डर का साया। उसने मकान मालिक से कुंदनबाग के उस भयानक घर के बारे में पूछताछ की। मकान मालिक ने एक गहरी सांस ली और कहानी बताने लगा, एक ऐसी कहानी जिसने निलेश की रूह तक को कंपा दिया।
कुंदनबाग के इस खौफनाक घर में दशकों पहले एक साधारण सा परिवार रहता था—पति, पत्नी, और उनकी दो प्यारी बेटियाँ। सबकुछ आम लोगों जैसा ही था, लेकिन फिर एक रात वह आदमी अचानक गायब हो गया। उसकी तलाश में परिवार और पड़ोसियों ने हर मुमकिन कोशिश की, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला। इसके बाद घर में अजीब घटनाएँ घटने लगीं। लोग कहते थे कि वह औरत और उसकी बेटियाँ रात में मोमबत्तियाँ जलाकर घर के कमरों में घूमतीं और अजीब सी हरकतें करतीं। उनका रहस्यमयी व्यवहार धीरे-धीरे पूरे मोहल्ले के लिए चिंता का कारण बन गया। एक दिन परेशान होकर पड़ोसियों ने पुलिस को बुला लिया। जब पुलिस ने घर की जाँच की, तो जो उन्होंने देखा, उससे सबके रोंगटे खड़े हो गए।
घर के भीतर उस औरत और उसकी बेटियों की लाशें सड़-गल चुकी थीं। सबसे हैरानी की बात यह थी कि पोस्टमॉर्टम से पता चला कि वह तीनों करीब छह महीने पहले ही मर चुकी थीं। लेकिन मोहल्ले के लोगों ने उन्हें अभी कुछ ही दिनों पहले घर के आसपास घूमते हुए देखा था। माना जाता है कि उस औरत ने अपने पति को वापस बुलाने के लिए कोई तांत्रिक क्रिया की थी, और इसी कारण से यह सब हुआ। आज भी, इस घर में लोग अजीब घटनाएँ देखने का दावा करते हैं। उसकी खाली खिड़कियों से झाँकती परछाइयाँ और रात में सुनाई देने वाली हल्की-हल्की फुसफुसाहटें इस बात की गवाही देती हैं कि कुंदनबाग का यह घर आज भी अपने अतीत के भयानक रहस्यों को अपने भीतर छुपाए हुए है।
सन्नाटा छा जाता है। निलेश का चेहरा फीका सफेद पड़ जाता है। उसके मन में डर का बीज और गहरा हो जाता है। उस रात, निलेश को एहसास हुआ कि कुछ रहस्यों को छेड़ना अपनी ही बर्बादी को निमंत्रण देना है। कुंदनबाग का वह भयानक घर अब भी वहाँ खड़ा है, अपनी खौफनाक कहानियों के साथ, और जो कोई भी उसके रहस्य जानने की कोशिश करता है… वह हमेशा के लिए उसकी यादों में कैद हो जाता है। और निलेश ने जल्द ही वह घर छोड़ने का फैसला किया। पर उसके मन में अब भी उस घर का खौफ और रहस्य हमेशा के लिए बस चुका था।
So I hope Guys आपको यह Horror Story अच्छी लगी होगी।
पढ़ने के लिए धन्यवाद।
Author: Manish Dubey
Writer’s Social Media, Website: storyteller_manishdubey
Editor & Proof Reader: Vishal Suman
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